रविवार, 2 मई 2010

हंगरी में हिंदी- लघु प्रतिवेदन

प्रमोद कुमार शर्मा--

हंगरी में भारतीय विद्या विषय के अध्ययन-अध्यापन परंपरा की शुरुआत 1873 ई. में ओत्वोश लोरांद विश्वविद्यालय में भारोपीय अध्ययन विभाग के अंतर्गत हुई थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद संस्कृत अध्ययन-अध्यापन की पुनः नियमित रूप से शुरु कर इसका विकास करने का श्रेय विभाग के भूतपूर्व अध्यक्ष प्रो. तोत्तोशि चाबा को दिया जा सकता है। हंगरी में हिंदी अध्ययन-अध्यापन का श्रीगणेश डॉ. दैबरैत्सैनी आर्पाद के प्रयासों से बीसवीं सदी के छठे दशक में हुआ था। इन्होंने विभाग में एक अंशकालिक अध्यापक के रूप में हिंदी अध्यापन का कार्य किया था। हिंदी अध्ययन-अध्यापन की परंपरा नियमित रूपाकार देकर उसे पूर्ण रूप से विकसित कर वर्तमान स्वरूप देने का पूरा श्रेय विभाग की वर्तमान अध्यक्षा डॉ. मारिया नेज्यैशी को जाता है। उन्होंने बीसवीं शताब्दी के नौवें दशक में हिंदी अध्यापन का कार्य शुरु किया था।
जनवरी 2008 से भारोपीय अध्ययन विभाग
अध्ययन-अध्यापन- जनवरी 2008 से अब तक उच्च स्तर के छात्रों के सामान्य अध्यापन विषयों- वार्तालाप, हिंदी उपन्यास, हिंदी नाटक, आधुनिक हिंदी कविता- आदि के साथ कुछ नए तथा समकालीन विषयों - हिंदी मीडिया की भाषा, हंगेरियन से हिंदी में अनुवाद, निबंध लेखन, हिंदी कहानियों में स्त्री विमर्श, कंप्यूटर का हिंदी शिक्षण में प्रयोग, कंप्यूटर पर हिंदी में टंकण तथा हिंदी समाज भाषाविज्ञान का अध्यापन विषय में समावेश किया गया। अनेक छात्रों ने हिंदी में टंकण प्रारंभ कर दिया है। पिछले दो सालों से विभाग में हिंदी अध्ययन शुरु करने वाले छात्रों की संख्या क्रमशः 12 और 20 थी। आजकल तीन छात्र हिंदी भाषा या साहित्य से जुड़े विषयों पर अपना शोधपत्र लिख रहे हैं।
अन्य गतिविधियाँ- ऐल्ते विश्वविद्यालय के होम पेज में हिंदी भाषा को शामिल कर लिया गया है। मानविकी संकाय की परिचय पुस्तिका हिंदी में प्रकाशित की जा रही है और संकाय के वेब पेज पर उपलब्ध होनेवाली है।
अनुवाद -विभाग के अध्यापकों व पूर्व छात्रों ने हंगेरियन पुस्तको का अंग्रेजी से हिंदी में तथा संस्कृत से हंगेरियन में अनुवाद किया। उल्लेखनीय हैं डॉ. मारिया नेज्यैशी के निर्देशन में किया गया भीष्म साहनी की चुनिंदा कहानियों का, डॉ. प्रमोद कुमार शर्मा द्वारा किया गया फैरेंस मोलनार के पॉल उत्साई फियुक और मोरित्स जिगमोंड के रोकोनोक का हिंदी में अनुवाद और युदित बोर्बेय द्वारा किए गए मनु-स्मृति और हरिशंकर परसाई रचनाओं के हंगेरियन में अनुवाद। ये दोनों ही रचनाएँ दूतावास की सहायता से एक परियोजना के तहत् प्रकाशित होने वाली हैं।
भित्ति पत्रिका- प्रयास- जनवरी 2009 में विभाग ने एक त्रैमासिक भित्ति पत्रिका “प्रयास” प्रारंभ की। इस पत्रिका के पाँच अंक निकल चुके हैं। प्रयास का पाँचवाँ अंक आजकल दीवार पर लग गया है। इसके प्रथम वर्ष के 4 अंकों को दूतावास के सहयोग से प्रकाशित करने की योजना है। इस पत्रिका को इंटरनेट पर उपलब्ध करवाने का कार्य वेब पत्रिका अभिव्यक्ति की संपादिका श्रीमती पूर्णिमा वर्मन की सहायता से जारी है। वह अभिव्यक्ति की टीम की ओर से विभाग के सर्वश्रेष्ठ छात्र को पुरस्कृत करने अप्रैल के अंतिम सप्ताह में आनेवाली हैं। विभाग के दो जुड़े दो छात्रों ने अपने भारत संबंधी अनुभवों के बारे में हिंदी में ब्लॉग लिखना प्रारंभ कर दिया है।
छात्रवृत्ति- पिछले पच्चीस साल से भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की छात्रवृत्ति लेकर लगभग 40 छात्र हिंदी का अध्ययन करने के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान जाते हैं। इस सत्र में जो ऐल्ते और दूतावास की कक्षाओं में से एक-एक छात्र – श्री शागी पेतैर और श्री देनैश बिशोफ़ यह छात्रवृत्ति लेकर केद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा में अध्ययनरत हैं।भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा स्थापित टैगोर फैलोशिप विभाग के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है। विभाग के ही एक पूर्व छात्र डॉ हिदाश गैर्गैय इस फैलोशिप के अंतर्गत शोध कार्य करने के साथ-साथ अध्यापन का कार्य भी करते हैं।
शोधकार्य व शोधकार्य सहयोग व अन्य शैक्षिक संस्थाओं से सहयोग- विभाग में मध्यकालीन हिंदी कवि तुलसीदास कृत कवितावली के पाठालोचन का कार्य डॉ. इमरे बंघॉ के निर्देशन में छात्रों की सहायता से जारी है।
इस वर्ष विभाग की अध्यक्षा डॉ. मारिया नेज्यैशी को एक विशेष सम्मान भी प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें विश्व हिंदी सचिवालय की ओर से प्राप्त हुआ। उन्हें इस बार के विश्व हिंदी दिवस के आयोजन के अवसर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। इरास्मुस (ERASMUS) योजना के वियना विश्वविद्यालय के निमंत्रण पर विभाग के सभी प्राध्यापक अध्यापन हेतु वियना विश्वविद्यालय जा चुके हैं। इसके अलावा डॉ. प्रमोद शर्मा क्राकोव और वेनिस विश्विद्यालय के प्राध्यापकों से चर्चा करने के लिए आधिकारिक यात्रा पर गए। उन्होंने सपिएंत्सिया विश्वविद्यालय, चिकैसैरदा, रोमानिया में आयोजित त्रिदिवसीय भक्ति कॉन्फ्रैंस में भी भाग लिया। सिंतबर 2009 में मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. टी. वी. कट्टीमन्नी सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत् विभाग में एक माह तक रहे।
दूतावास संचालित कक्षाएँ- अध्ययन-अध्यापन-भारतीय दूतावास के सहयोग से तीन (वर्ष 2009 से चार) स्तरों पर हिंदी अध्यापन की सांध्यकालीन कक्षाएँ पिछले 18 वर्षों से नियमित रूप से चल रही हैं। सप्ताह में एक दिन, घंटे- दो घंटे पढ़कर किसी विदेशी भाषा में वार्तालाप करने की दक्षता तो विकसित नहीं होती पर ये देवनागरी लिपि के पठन-पाठन दक्ष हो जाते हैं। व्याख्यानमाला (भारतीय दर्शन, इतिहास, समाज, कला, खान-पान, पहनावा आदि से संबंधित विषय पर) हंगरीवासियों की हिंदी और भारतीय कला और संस्कृति के अध्ययन में रुचि को बढ़ाते हैं। कुछ युवा छात्र तो भारोपीय अध्ययन विभाग में नियमित तौर पर हिंदी सीखना शुरु कर देते हैं।
शिक्षणेतर गतिविधियाँ - इन कक्षाओं के छात्र प्रति वर्ष भारत के दो प्रमुख त्योहार दीवाली व होली मनाते हैं। इन कक्षाओं में पढ़नेवाले छात्र भारोपीय विभाग के छात्रों से मिलकर प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस (या हिंदी दिवस) के अवसर पर प्रसिद्ध हिंदी कवियों की कविताओं को पाठ करते हैं व एक या दो लघु नाटकों का मंचन करते हैं। 2008 में अकबर बीरबल की कहानी पर आधारित “दो गधों का भार” और “आपका दास हूँ, बैंगन का नहीं” 2009 में “मेहनत की कमाई” और एक हंगारी लोककथा “बुद्धिमान गड़रिया” के नाट्यरूपांतरों का मंचन किया गया था। इस वर्ष अर्थात् 2010 में फैरेंस मोलनार के उपन्यास के एक अंश “पुटी क्लब” के नाट्यरूपांतर का मंचन किया जा रहा है। उक्त सभी कहानियों का नाट्यरूपांतरण डॉ. प्रमोद कुमार शर्मा ने किया।
दूतावास की कक्षाओं व विभाग के छात्र यू. के. हिंदी समिति द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। सर्वप्रथम स्थान प्राप्त करने वाला छात्र भारत की यात्रा पर भी जाता है। गत वर्ष इस योजना के तहत् सुश्री दाविद क्रिस्टी भारत की यात्रा पर गई थीं।
हंगरी में आयोजित हिंदी-संस्कृत सम्मेलन व संगोष्ठियाँ -विभाग ने भारतीय दूतावास व आईसीसीआर, भारत सरकार के सहयोग से मार्च 2002 में हंगरी में प्रथम अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया था। इसके बाद वर्ष 2007 में भी एक अंतर्राष्ट्रीय भारतीय विद्या अध्ययन सम्मलेन का आयोजन किया गया था। मार्च 2008 में तृतीय विश्व हिंदी दिवस का, जुलाई 2008 में कोसैग में संस्कृत कार्यशाला का, मार्च 2009 में चौथे विश्व हिंदी दिवस का, सितंबर 2009 में हिंदी दिवस का आयोजन किया। इसी की अगली कड़ी के रूप में आज पाँचवे विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इसके अलावा महामहिम राजदूत महोदय के लोकापर्ण के पश्चात विभाग में प्रयास के प्रथम अंक का अनावरण विभाग में किया गया। फरवरी 2010 में एक त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी- ‘लेटिंग द टेक्ट स्पीक’ का आयोजन किया जिसका उद्घाटन भारत सरकार के केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्री आनंद शर्मा ने किया था। इस संगोष्ठी का संयोजन डॉ. दैजो चाबा ने किया था। उनके ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में कार्यभार ग्रहण कर लेने के उपरांत डॉ. मारिया नेज्यैशी ने विभाग के अतिथि प्राचार्य डॉ. प्रमोद कुमार के सक्रिय रूप से सहयोग से इसे संपन्न करने का कार्य किया। इन सभी गतिविधियों को पूरा करने के लिए कोसैग की संस्कृत कार्यशाला को छोड़कर शेष सभी कार्य दूतावास और आईसीसीआर की वित्तीय व प्रशासनिक सहायता से संपन्न हुए।

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