मंगलवार, 26 जुलाई 2011

मेरी सात प्रेमिकाएँ


एर्विन लाज़ार (अनुवाद- अन्ना शिमोन)

मेरी सात प्रेमिकाएँ हैं।
पहली वाली हड्डी दिखाऊ कंधे वाली है। उसका सिर थोड़ा सा एसा है जेसा एक घोड़ा का सिर। वह गुस्सैल है। मैं कुछ भी करू, वह उसके अच्छा नहीं लगता। वह मुझे काम करने भेजती है। वह मुझे धमकी देती है, कि मैं देखूँगा यदि मैं कुछ नहीं बन पाउँगा।
दूसरी वाली छोटी और गोलाकार है. वह अधिक बच्चे चाहती है। जब वह चाहती है, वह मुस्करा रही है। वह बहुत सुन्दर गाती है। उसको गाना बहुत पसन्द है और वह गा भी सकती है।
तीसरी वाली छरहरे बदन की है। वह पूरी तरह से सम्मोहित कर लेती है। वह सुन्दर हो बनी रहना चाहती है। उसने कभी झूठ नहीं बोला। वह मुझे भी कहती है, कि मैं झूठ न बोलूँ। वह कहती है, कि झूठ न बोलना कोई बड़ी बात नहीं है, अगर व्यक्ति कुछ नहीं बोलता है।
चौथी वाली वास्तविक सुन्दरी है। इसे हम स्वप्न सुंदरी कह सकते हैं। वह कुल्हे मटकाकर चलती है। वह मटकती रहती है।
उसको पीना, खाना, नाचना अच्छा लगता है। वह मुझे मधुशाला और नाइटक्लब मैं झुटके से घसीटती है। वह मदिरालय से नफ़रत भी नहीं करती। उसे शराब पीकर भी नशा नहीं चढ़ता। वह कोयले का कम करने वाले लोगों के बिच मैं मोती बड़ा अट्टहास बिखेरती है। वह प्यार से भरी हुई है। कोयले का मुज़दुर उसके साथ मुस्कराते हैं।
पाँचवीं वाली खामोश, कलि और मेहनती है। वह मेरी चारों ओर सब ठीक करती है। वह आशा करती है, कि उसका फिर आने पर मैं गंदा नहीं हूँ, मेरे बाल बिखरे नहीं होंगे और मेरे जूते शीशे जैसे चमकेंगे। वह इस बात मैं अचल विश्वास करती है। वह अत्तिका की एक उदासी विधवा है, जिसकी भौंहे आपस में मिली हुई हैं।
छठी वाली चंचल है। उसे सिर्फ यात्रा करना, लेटे रहना, नाचना पसन्द है। सिनेमा से बाहर सिनेमा में जाना चाहती है। पर उसे पक्षी भी अच्छे लगते हैं। जब पेड़ के फूल खिल रहे हैं, वह बहुत घंटे बाग़ में बैठी रहती है। वह मुझे चमक पिने का उत्तेजित करती है। मैं अपने पंजों के बल पर भूमि छूकर उड़ू।
सातवीं वाली हमेशा काले कपड़े पहनती है। मैंने उसको मुस्कराते हुए कभी नहीं देखा। वह हमेशा आत्मलीन रहती है। वह मेरी आत्मा का व्यवसाय करती है। वह मेरी हिफ़ाज़त करती और मुझे सिखाती है। वह मुझे मेरी सैट प्रेमिकाओं से प्रेम करने को उत्तेजित करती है।
पर मैं सभी को धोखा देता हूँ। 
मैं पहली वाली को कम नहीं करता। मैं दूसरी वाली के साथ नहीं मुस्कराती। मैं तीसरी वाली से झूठ बोलता हूँ। मैं चौथी वाली के साथ शराब तक पीता हूँ। पाँचवी वाली से मैं कभी ठीक से नहीं मिलता। छठी वाली मुझे फूलों से प्यार करना सिखा नहीं सकती। सातवीं वाली का मुझसे उन से प्रेम करने के लिए कहना व्यर्थ है।
हड्डी दिखाऊ कंधे वाली सोमवार कहा जाता है। मुस्कराने वाली का नाम मंगलवार है। हल्की वाली बुधवार है। कामिवाली गुरूवार है। अत्तिका वाली शुक्रवार है। चंचल वाली शनिवार है। कभी न मुस्कराने वाली रविवार है।
अरे वाह अगर वे एक बार मुझे धोखा देंगी।

मंगलवार, 6 जुलाई 2010

भारतीय राजदूतावास द्वारा ऐल्ते विश्वविद्यालय में संचालित कक्षाओं व भारतीय सांस्कृतिक व्याख्यानमाला का समापन समारोह



बुदापैश्त- 10 जून 2010 को बुदापैश्त स्थित भारतीय राजदूतावास के प्रांगण में दूतावास द्वारा आयोजित सांध्यकालीन कक्षाओं व भारतीय सांस्कृतिक व्याख्यानमाला के इस अकादमिक सत्र के समापन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महामहिम गौरीशंकर गुप्ता ने छात्रों को प्रमाणपत्र प्रदान किए। हिंदी कक्षाओं का आयोजन ओत्वोश लोरांद विश्विद्यालय में भारोपीय विद्या अध्ययन विभाग की अध्यक्षा डॉ. मारिया नेज्यैशी के सहयोग से आयोजित किया जाता है।

इस अवसर पर महामहिम गौरीशंकर गुप्ता ने उपस्थित हंगारी व भारतीय जन समूह को संबोधित करते हुए भारत हंगारी संबंधों की चोमा कोरोश से प्रारंभ लंबी परंपरा की चर्चा करते हुए विभागाध्यक्ष मारिया नेज्यैशी और डॉ. प्रमोद कुमार शर्मा के कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की महामहिम जी ने हंगारी लोगों में बढ़ते हिंदी और भारतीय संस्कृति प्रेम की चर्चा करने के बाद हंगरी में व्यापक होते हिंदी के दायरे को सराहा और हंगरी में हिंदी के विस्तार के लिए हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया। उन्होंने घोषणा की कि अगले सत्र से दूतावास संचालित कक्षाओं का आयोजन नव निर्मित सांस्कृतिक केंद्र में किया जाएगा।

इसके बाद छात्रों ने पुष्प गुच्छों से महामहिम जी, दूतावास के कार्यक्रम से संबद्ध कर्मचारियों आदि का स्वागत किया। विभाग के अतिथि प्राचार्य ने भित्ति-पत्रिका प्रयास के छठे अंक की प्रतिलिपि महामहिम जी को भेंट की।

इस कार्यक्रम का एक आकर्षण था हंगरी के प्रसिद्ध उपन्यासकार फैरैन्त्स मोलनार के लोकप्रिय हंगेरियन किशोर उपन्यास पॉल स्ट्रीट फिऊकके एक अंश पुटी क्लबका हिंदी में मंचन। इसका अनुवाद एवं नाट्य-रूपांतरण अतिथि प्राचार्य ने किया था। नाटक के पात्रों वैईस, कोल्नई, प्रो. रात्स द्वारा हिंदी में बोले गए संवादों ने दर्शकों के साथ-साथ महामहिम जी का भी मन मोह लिया।

कार्यक्रम का संचालन मारिया नेज्यैशी ने हंगेरियन भाषा में किया था। आशु अनुवाद का काम दानियल बलोग ने किया था।

कार्यक्रम के बाद भारतीय जलपान की व्यवस्था की गई थी। हंगेरियन लोग भारतीय व्यंजनों के दीवाने हैं।