रविवार, 2 मई 2010

हंगरी में हिंदी दिवस, सितंबर 2009

गीता शर्मा--

बुदापेश्ट(हंगरी) के एल्ते विश्वविद्यालय में सितंबर माह के अंतिम सप्ताह में हिंदी-दिवस का आयोजन किया गया। भारोपीय अध्ययन विभाग एवं भारतीय दूतावास ने सामूहिक रूप से इस कार्यक्रम का आयोजन किया। समारोह के मुख्य अतिथि हंगरी में भारत के राजदूत महामहिम श्री रंजीत राय थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. असगर वजाहत ने की। इस अवसर पर बोलते हुए राजदूत महोदय ने भारतीय भाषाओं की विविधता को रेखांकित करते हुए हिंदी के महत्व पर प्रकाश डाला।केंद्रीय हिंदी संस्थान से आए विजिटिंग प्रो. डॉ. प्रमोद कुमार शर्मा ने छात्रों को विश्व हिंदी दिवस और हिंदी दिवस का अंतर बताते हुए उनके इतिहास पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर छात्रों ने हिंदी गीतों पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का सबसे बड़ा आकर्षण था असगर वजाहत के प्रसिद्ध नाटक—जिन लाहौर नहीं वेख्या....-के एक अंश का मंचन। भारोपीय अध्ययन विभाग की प्रभारी एवं हिंदी की विदुषी डॉ. मारिया नज्यैशी नें नाटक के इस अंश का हंगारी भाषा में अनुवाद किया था। छात्रों ने अपने भावपूर्ण अभिनय से उसे जीवंत कर दिया।
बुदापेश्ट में भारतीय दूतावास द्वारा भी डॉ. मारिया की देखरेख में हिंदी की कक्षाएँ चलाई जाती हैं।इन कक्षाओं में हिंदी और भारतीय संस्कृति में रुचि रखने वाले लोग बड़ी संख्या में आते हैं। इन कक्षाओं का आरंभ 1992 में उस समय हुआ था जब डॉ. असगर वजाहत यहाँ विज़िटिंग प्रोफेसर बन कर आए थे। प्रो. वजाहत नें इन कक्षाओं का इतिहास बताते हुए इससे जुड़े अपनेअनुभवों का जिक्र किया। उन्होने बताया कि इन कक्षाओं का प्रारंभ प्रयोग के रूप में किया गया था। उस समय इन कक्षाओं की इस अभूतपूर्व सफलता का किसी को अंदाज़ा नहीं था।आज सप्ताह में दो दिन दो स्तरों के विद्यर्थियों के लिए चार कक्षाएँ चलाई जाती हैं। करीब दो हज़ार छात्र इनसे लाभान्वित हो चुके हैं।
भारतीय दूतावास से आए शिक्षा एवं संस्कृति सचिव श्री वी. वी. मोहन ने छात्रों के अभिनय और कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए किए गए डॉ. मारिया के प्रयत्नों के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होने सूचित किया कि अगले वर्ष से दूतावास द्वारा आयोजित ये कक्षाएँ भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के नव-निर्मित भवन में आयोजित हुआ करेंगी। हंगरी जैसे छोटे से देश में जहाँ भारतीय लोगों की संख्या बहुत ही कम है,यह निश्चय ही एक उपलब्धि है। इसका श्रेय हंगरी के भारत प्रेमियों को जाता है।
हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर विभाग की भित्ति-पत्रिका-- प्रयास— के तीसरे अंक का अनावरण प्रो. असगर वजाहत ने किया। इस अवसर पर उनके अतिरिक्त डॉ. मारिया, डॉ. प्रमोद शर्मा तथा मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. टी.वी. कट्टीमन्नी भी उपस्थित थे। प्रो. वजाहत ने छात्रों को हिंदी में लिखने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उम्मीद जताई कि वे भविष्य में भी इस पत्रिका को जीवित रखेंगे। उन्होने पत्रिका के लिए संपादक डॉ. शर्मा को बधाई दी। डॉ. मारिया नें भित्ति पत्रिका के तीसरे अंक के निकलने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि विभाग से किसी हिंदी पत्रिका का इतनी सफलतापूर्वक निकलना स्वयं उनके लिए भी अविश्वसनीय है। उन्होने पत्रिका के उज्वल भविष्य की कामना की। पत्रिका के संपादक डॉ. प्रमोद कुमार शर्मा ने विद्यार्थियों को उनके सहयोग के लिए हार्दिक धन्यवाद देते हुए उनसे पत्रिका की बागडोर अपने हाथ में लेने का आह्वान किया।

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