रविवार, 2 मई 2010

हंगारी लोगों की भारत रुचि के कारक

प्रमोद कुमार शर्मा--

हिंदी के अध्ययन-अध्यापन की इस परंपरा के अलावा कुछ और भी तथ्य ऐसे हैं जिनका हिंदी पठन-पाठन से सीधा संबंध तो नहीं है, पर हिंदी में रुचि जाग्रत करने की दृष्टि से महतव कम नहीं है। अतः उनकी भी चर्चा यहाँ की जा रही है।
-हंगरी में अनेक लोग योग सीखकर इसे अपने जीवन का अनिवार्य अंग बना चुके हैं। यह प्रक्रिया निरंतर जारी है। हंगरी में योग सिखाने वाली अनेक संस्थाएँ हैं, कुछ संस्थाएँ भारतीय लोगों द्वारा संचालित हैं और कुछ संस्थाओं का संचालन स्वयं हंगारी लोग करते हैं।
-हंगारी लोग प्राकृतिक चिकित्सा पर बहुत विश्वास करते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा भी हंगरी में लोकप्रिय है। बालाटन के एक आयुर्वेदिक चिकित्सालय में दो भारतीय चिकित्सक कार्यरत हैं। कुछ हंगेरियन चिकित्सक भी आयुर्वेदिक दवाइयाँ बनाकर रोग चिकित्सा करते हैं। ऐसी चर्चा है कि एक विश्वविद्यालय में आयुर्वेद का एक विषय के रूप में अध्यापन प्रारंभ होने वाला है।
-हंगरी के निवासियों की भारतीय नृत्य और संगीत में रुचि को ध्यान में भारतीय दूतावास समय-समय पर इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है। इनको देखने वालों में हंगारी लोगों की भरमार होती है। भारतीय शास्त्रीय व लोक नृत्य करने वाली हंगारी नृत्यांगनाएँ न केवल भरत नाट्यम, कुचिपुड़ी आदि नृत्य ही करती हैं वरन् स्थानीय निवासियों को नृत्य का प्रशिक्षण भी देती हैं। इनके द्वारा संचालित प्रशिक्षण केंद्रों में अनेक हंगारी लोग भारतीय शास्त्रीय नृत्य सीखते हैं।
-हंगारी लोगों में भारतीय व्यंजन लोकप्रिय हैं। बुदापैश्त में अनेक भारतीय रेस्तराँ हैं। इस्कोन का शाकाहारी भोजनालय यहाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इनमें हंगेरियन लोगों की भरमार रहती है।
-बुदापैश्त में लगभग प्रतिमाह एक बोलीवुड पार्टी होती है, जिसमें अनेक हंगेरियन युवक-युवतियाँ (भारतीय भी) हिंदी के लोकप्रिय हिंदी-पंजाबी फिल्मी गानों पर देर रात तक थिरकते रहते हैं।
-इसी तरह बुदापैश्त में दूतावास की कक्षाओं से जुड़ा एक हिंदी फिल्म क्लब भी है जो प्रति माह एक हिंदी फिल्म का प्रदर्शन करता है। इसमें दर्शकों की संख्या पर्याप्त होती है। लगभग प्रतिवर्ष आयोजित होनेवाला भारतीय फिल्मोत्सव भी हंगारी लोगों में बहुत ही लोकप्रिय है। गत तीन वर्षों से बुदापैश्त में आयोजित होने वाला इंडिया फेस्ट भी भारतीय संस्कृति आदि की लोकप्रियता के नए मापदंड बना रहा है। इस बार इसमें भाग लेनेवालों की संख्या 900 से भी अधिक थी।
-एक खास बात और हंगरी के विभाग ऐल्ते विश्वविद्यालय के सिनेमा, पत्रकारिता व मीडिया विभाग में बॉलीवुड का एक विषय के रूप में अध्यापन किया जाने लगा है। इस विषय का चयन करने वाले छात्रों की संख्या अच्छी-खासी होती है। भारतविद्या विभाग में भी अगले सत्र से हिंदी सिनेमा को एक विषय के रूप में शुरु किए जाने की संभावना है।
-हंगेरियन दूरदर्शन पर हिंदी फिल्में डब करके व हंगारी भाषा में सब टाइटिल लिख कर दिखाने की एक लंबी परंपरा है। भारतीय फिल्में यहाँ बहुत ही पसंद की जाती हैं। यहाँ लोगों से बातचीत करने पर पता लगा कि उन्हें हिंदी फिल्मों में अंग्रेजी भाषा का मिश्रण करना या भारतीय संस्कृति पर पाश्चात्य प्रभाव पसंद नहीं है। हंगारी लोग भारतीय संस्कृति को उसके मूल रूप में ही देखना पसंद करते हैं। उन्हें भारतीय फिल्मों मे दिखाए गए पारिवारिक मूल्य बहुत पसंद आते हैं।

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