रविवार, 2 मई 2010

हिंदी के नाम एक दिन

गीता शर्मा--
10 जनवरी 1975 हिंदी के इतिहास का एक महत्वपूर्ण दिन बन गया है। नागपुर में इसी दिन आरंभ हुए पहले विश्व हिंदी सम्मेलन में देश- विदेश से आए हिंदी प्रेमियों ने एक साथ इस मंच से हिंदी का जयघोष किया था। वर्ष 2006 से इस दिन को विश्व हिंदी दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। आज कल करीब-करीब हर देश में स्थित भारतीय दूतावास और स्थानीय हिंदी- प्रेमी मिल कर विश्व हिंदी दिवस मनाते हैं । 14 मार्च 2009 को हंगरी की राजधानी बुदापैश्त में भारतीय दूतावास और एल्ते विश्व विद्यालय के भीरोपीय अध्ययन विभाग ने सामूहिक रूप से विश्व हिंदी दिवस का भव्य आयोजन किया । जनवरी की बजाय मार्च में मनाए जाने का कारण यह है कि जनवरी की भयंकर सर्दी और बर्फबारी के कारण विश्वविद्यालय में अवकाश रहता है और अधिकांश छात्र अपने घरों को चले जाते हैं । इस बीच भारतीय दूतावास द्वारा चलाई जा रही हिंदी की कक्षाएँ भी स्थगित रहती हैं। इन दोनों कक्षाओं में पढ़ने वाले हंगारी छात्रों के हिंदी-प्रेम और भारतीय संस्कृति के प्रति उत्कट सम्मान की भावना को देखते हुए इस समारोह को यहाँ पर मार्च में अवकाश समाप्त होने के बाद मनाया जाता है ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में हंगरी में भारत के राजदूत महामहिम श्री रंजीत राय ने हिंदी के बढ़ते हुए महत्व पर प्रकाश डालते हुए हंगारी लोगों के हिंदी और भारत-प्रेम की प्रशंसा की। भारत के प्रधानमंत्री का इस अवसर पर दिया गया संदेश भी पढ़ा। इस अवसर का महत्वपूर्ण आकर्षण था एल्ते विश्वविद्यालय के भारोपीय अध्ययन विभाग द्वारा प्रारंभ की गई भित्ति-पत्रिका ‘प्रयास’ का महामहिम द्वारा लोकार्पण। यह पत्रिका न केवल विश्वविद्यालय के भारोपीय अध्ययन विभाग अपितु हंगरी में प्रकाशित पहली हिंदी पत्रिका है। भारत से आए हिंदी के विज़िटिंग प्रो. डॉ. प्रमोद कुमार शर्मा की देखरेख में निकली इस पत्रिका के सभी लेखक-कवि हंगरी के वे लोग हैं जो किसी न किसी रूप से हंगरी में चलने वाली हिंदी कक्षाओं से जुड़े रहे हैं। इस पत्रिका की अनेक रचनाएँ मौलिक भी हैं। एल्ते विश्वविद्यालय के भारोपीय अध्ययन विभाग की अध्यक्षा डॉ. मारिया नज़्येशी ने यह विश्वास व्यक्त किया कि प्रयास नामक यह हंगरी की यह पहली भित्ति-पत्रिका भविष्य में हंगारी हिंदी प्रेमियों की रचनात्मक प्रतिभा को एक सशक्त मंच प्रदान करेगी।
इस अवसर पर प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रमुख आकर्षण एक हंगेरियन नृत्य समूह द्वारा प्रस्तुत भारतीय नृत्य रहे। उनकी तीनों प्रस्तुतियों- गणेश वंदना, भरत नाट्यम और दक्षिण भारत के लोक नृत्य ने सभी का मन मोह लिया। भारतीय संगीत पर नृत्य प्रस्तुत करती इन हंगेरियन नृत्यांगनाओं के मनमोहक नृत्य ने भारत और हंगरी की भावात्मक नज़दीकियों को मानो रेखांकित कर दिया।
इस अवसर पर दूतावास की हिंदी कक्षाओं के छात्रों ने दो लघु नाट्य प्रस्तुतियाँ की। इनमें से एक भारतीय व एक हंगारी कहानी थी। कुछ छात्र- छात्राओं ने गुरुदेव, रवीन्द्र नाथ टैगोर, भवानी प्रसाद मिश्र, त्रिलोचन और कुँवर नारायण की कविताओं का इतना भावपूर्ण प्रस्तुतीकरण किया कि वहाँ उपस्थित भारतीय दर्शक तक मंत्रमुग्ध हो गए।
हंगरी में भारतीय मूल के लोगों की संख्या बहुत कम है अतः अपने देश तथा भाषा से जुड़े कार्यक्रमों में उनकी रुचि बहुत अधिक है । विश्व हिंदी दिवस के इस अवसर पर बुदापैश्त में बसे भारतीय लोगों ने भी बढ़ चढ़ कर भाग लिया । क्या बच्चे क्या बड़े सब हिंदी के रंग में रंगे हुए थे। नृत्य , गीत और कविताओं का जो सिलसिला शुरु हुआ वह तकरीबन तीन घंटे तक चलता ही रहा । अंत में सांस्कृतिक सचिव श्री मोहन के धन्यवाद ज्ञापन के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम का समापन तथा रात्रि भोज का आरंभ हुआ ।

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